मेधा ऋषि कहते हैं-हे राजन! प्राणों के समान प्रिय अपने भाई निशुम्भ को सेनासहित मरा हुआ देखकर शुम्भ कुपित होकर बोला- हे दुर्गे ! तुम अपने बल का गर्व मत करो, तुम दूसरों के बल पर युद्ध करती हो और अपने परा- क्रम का अभिमान करती हो। तब देवी ने कहा- अरे दुष…