अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि
युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथ: || 4||
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atra shura mahesh vasa bhimarjuna-sama yudhi
yuyudhano viratashcha drupadashcha maha-rathah|| 4||
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Behold in their ranks are many powerful warriors, like Yuyudhan, Virat, and Drupad, wielding mighty bows and equal in military prowess to Bheem and Arjun.
यहाँ इस सेना में भीम और अर्जुन के समान बलशाली युद्ध करने वाले महारथी युयुधान, विराट और द्रुपद जैसे अनेक शूरवीर धनुर्धर हैं।
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विवरण:
द्रोणाचार्य युद्ध कला में निपुण थे और उनकी महान शक्ति के सामने अकेले धृष्टद्युम्न भी ज्यादा कुछ नहीं कर सकते थे। अपने सामने खतरे को देखकर पांडवों की सेना दुर्योधन को बहुत बड़ी लग रही थी। पांडवों की सेना में कई ऐसे योद्धा थे, जिनसे दुर्योधन डरता था।
इधर, इस सेना में भीम और अर्जुन, महान योद्धा युयुधन (असली नाम सात्यकि था। सत्यकि यादवों के एक कुल का राजकुमार, वासुदेव कृष्ण का अभिन्न मित्र एवं महाभारत के समय पाण्डवों की ओर से लडने वाला एक योद्धा था। उसने अर्जुन से धनुर्विद्या ली थी।), विराट (राजा विराट महाभारत में अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के पिता थे। उन्होंने अपने राज्य में पांडवों को आश्रय दिया जब उन्हें अज्ञातवास करना पड़ा था।) और द्रुपद (द्रुपद पांचाल के राजा और द्रौपदी, धृष्टद्युम्न, शिखंडी के पिता थे और महाभारत के युद्ध में पांडवों की ओर से लड़े थे।) जैसे कई वीर धनुर्धर हैं।
दुर्योधन भीम और अर्जुन की ताकत से अच्छी तरह वाकिफ था और वह दूर से ही योद्धाओं की ताकत की तुलना कर रहा है।
योद्धाओं का क्लासिफिकेशन उनके शारीरिक बल ही नहीं उनकी अस्त्र और शस्त्र चलाने की क्षमता के आधार पर भी होता था। महाभारत के समय के योद्धाओं का वर्ग इस प्रकार है:
1. अर्धरथी | Ardharatri: अर्धरथी यानी आधा रथी। अस्त्र-शस्त्रों के संचालन में कुशल यह योद्धा अकेले 2500 सशस्त्र योद्धाओं से युद्ध लड़ने की क्षमता रखता था। रामायण और महाभात के युद्धों में असंख अर्थरथी। उन्होंने धनुष और तलवार जैसे हथियार का उपयोग किया करते थे।
2. रथी | Rathi: एक योद्धा जो एक साथ 5,000 योद्धाओं का मुकाबला करने में सक्षम है। कौरव, शकुनि, युधिष्ठिर, नकुल, सहदेव आदि सभी राठी थे।
3. अतिरथी | Atirathi : एक योद्धा जो 12 राठी वर्ग के योद्धाओं या 60,000 योद्धाओं के साथ एक साथ मुकाबला करने में सक्षम है। भीम, दुर्योधन, द्रुपद आदि इसी पद के अंतर्गत आते हैं।
4. महारथी | Maharathi : एक योद्धा जो 12 अतिरथी वर्ग के योद्धाओं या 720,000 योद्धाओं से एक साथ लड़ने में सक्षम है। भीष्म, द्रोण, अर्जुन, कर्ण, अश्वत्थामा, अभिमन्यु आदि इस पद के अंतर्गत आते हैं। व्यास के अनुसार भीष्म, कर्ण और अर्जुन दो महारथियों के समान थे।
5. अतिमहारथी | Atimaharathi : 12 महारथी वर्ग के योद्धाओं या 8,640,000 योद्धाओं से एक साथ लड़ने में सक्षम योद्धा। महाभारत युद्ध में किसी भी योद्धा के पास यह पद नहीं था। व्यास का मत था कि कृष्ण युद्ध में उपस्थित एकमात्र अतिमहारथी थे।
6. महामहारथी | Mahamaharathi: अतिरथी से भी बढ़कर महामहारथी होता है। महामहारथी उसे कहा जाता है जो 24 अतिमहारथियों अर्थात 207360000 सशस्त्र योद्धाओं से युद्ध करने की क्षमता रखता हो। इस योद्धा के अधीन समस्त प्रकार की दैवीय एवं महाशक्तियां रहती हैं। ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव के अलावा आदिशक्ति ही महामरारथी हैं।
Description:
Dronacharya was expert in the art of war and even Dhrishtadyumna alone could not do much in front of his great power. Seeing the danger in front of him, the army of Pandavas seemed very big to Duryodhana. There were many such warriors in the army of Pandavas, whom Duryodhana was afraid of.
Here, in this army are Bhima and Arjuna, the great warrior Yuyudhana (real name was Satyaki. Satyaki was a prince of a clan of Yadavas, a close friend of Vasudeva Krishna and a warrior who fought on the side of the Pandavas during the Mahabharata. He learned archery from Arjuna. was.), Virata (King Virata was the father of Abhimanyu's wife Uttara in the Mahabharata. He sheltered the Pandavas in his kingdom when they had to go into exile.) and Drupada (Drupada was the king of Panchala and the father of Draupadi, Dhrishtadyumna, Shikhandi And fought on behalf of the Pandavas in the war of Mahabharata.) For example, there are many brave archers.
Duryodhana was well aware of the strength of Bhima and Arjuna and he is comparing the strength of the warriors from a distance.
Warriors were classified not only on the basis of their physical strength but also on the basis of their ability to use weapons and weapons. The class of warriors of the time of Mahabharata is as follows:
1. Ardharatri | Ardharatri: Ardharathi means half chariot. Skilled in handling weapons, this warrior alone had the ability to fight a war with 2500 armed warriors. Asankh Artharthi in the wars of Ramayana and Mahabharata. They used weapons like bow and sword.
2. Rathi | Rathi: A warrior capable of combating 5,000 warriors at once. Kaurav, Shakuni, Yudhishthira, Nakula, Sahdev etc. were all Rathis.
3. Atirathi | Atirathi: A warrior capable of combat with 12 Rathi class warriors or 60,000 warriors simultaneously. Bhima, Duryodhana, Drupada etc. come under this post.
4. Maharathi | Maharathi: A warrior capable of fighting 12 Atirathi warriors or 720,000 warriors at once. Bhishma, Drona, Arjuna, Karna, Ashwatthama, Abhimanyu etc come under this post. According to Vyasa, Bhishma, Karna and Arjuna were like two great charioteers.
5. Atimaharathi | Atimaharathi: A warrior capable of fighting 12 maharathi class warriors or 8,640,000 warriors simultaneously. No warrior had this position in the Mahabharata war. Vyasa was of the opinion that Krishna was the only Atimaharati present in the battle.
6. Mahamaharathi | Mahamaharathi: A Mahamaharathi is greater than an Atirathi. The one who has the ability to fight with 24 Atimaharathi i.e. 207360000 armed warriors is called Mahamaharathi. All kinds of divine and superpowers reside under this warrior. Apart from Brahma, Vishnu and Shiva, Adishakti is the only great charioteer.