पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनञ्जय: |
पौण्ड्रं दध्मौ महाशङ्खं भीमकर्मा वृकोदर: || 15 ||
* * *
panchajanyam hrishikesho devadattam dhananjayah|
paundram dadhmau maha-shankham bhima-karma vrikodarah || 15 ||
* * *
Hrishikesh blew his conch shell, called Panchajanya, and Arjun blew the Devadutta. Bheem, the voracious eater and performer of herculean tasks, blew his mighty conch, called Paundra.
ऋषीकेश भगवान् कृष्ण ने अपना पाञ्जन्य शंख बजाया, अर्जुन ने देवदत्त शंख तथा अतिभोजी एवं अति दुष्कर कार्य करने वाले भीम ने पौण्डू नामक भीषण शंख बजाया।
_________________________________________________________________________
विवरण:
इस श्लोक में भगवान कृष्ण को "हृषीकेश" बोला गया है क्योंकि वो मन और इंद्रियों के स्वामी है। भगवान के विविध कार्यों के अनुसार उनके बहुत सारे नाम है। इसिलए कृष्ण की 108 नाम है। और कृष्ण जी ने पाञ्जन्य नामक शंख बजाया था।
इस श्लोक में अर्जुन को "धनञ्जयः" से सम्भोदित किया है, जिसका अर्थ है "धन को जीतने वाला"। एक बार जब अर्जुन के बड़े भाई को विभिन्न यज्ञ करवाने के लिए धन की जरूरत थी तो धन प्राप्त करने में अर्जुन ने सहायता की थी। अर्जुन ने देवदत्त नमक शंख बजाया।
इसी प्रकार भीम वृकोदर कहलाते है क्योंकि जैसे वे अधिक खाते थे उसी प्रकार वे अतिमानवीय काम भी करते थे। अतिभोजी एवं अति दुष्कर कार्य करने वाले भीम ने पौण्डू नामक भीषण शंख बजाया।
Description:
Lord Krishna is called "Hrishikesh" in this verse because he is the master of mind and senses. The Lord has many names according to his various functions. That's why Krishna has 108 names. And Krishna ji blew the conch shell named Panchajanya.
In this verse, Arjuna is addressed as "Dhananjayah", which means "winner of wealth". Once when Arjuna's elder brother needed money to perform various yagyas, Arjuna helped him get the money. Arjun blew Devadutt's salt conch.
Similarly, Bhima is called Vrikodara because as he used to eat more, he also used to do superhuman work. Bhima, who was a glutton and did very hard work, blew a fierce conch shell named Paundra.