मार्कण्डेय जी बोले-शुद्ध ज्ञान स्वरूप वेदवई रूप दिव्य नेत्रों वाले सर्वोपरि सुख की उपलब्धि के कारण अर्धचन्द्रधारी शिव को नमस्कार है निरन्तर जप करने वाला मनुष्य यदि मन्त्रों के इस कीलक को जानता है तो निश्य ही कल्याण को प्राप्त करता है। इस कीलक स्तोत्…