गणेश जी |
हमें यह व्रत क्यों करना चाहिए?
संकटनाशक गणेश चतुर्थी का व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है। जब भी आप अपने आस-पास बहुत तनाव महसूस करें और ऐसा महसूस करें कि कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है। आप इस व्रत की शुरुआत कर सकते हैं। यह व्रत आपके जीवन में सुख, धन, शांति लाएगा। लेकिन इसके लिए आपको सकारात्मक रहना होगा। आपको इस व्रत पर विश्वास करना होगा। यदि आप खुद पर और भगवान में विश्वास करते हैं तो ये व्रत आपके लिए जादुई काम करेंगे। विश्वास के साथ आप जीवन में कुछ भी कर सकते हैं। हम सुबह शांति पाठ कर सकते हैं।
विवरण:
गणेश चतुर्थी के 14 व्रत कथा हैं। 14 में से, 12 हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर व्रत रख के पढ़ते है। और व्रत पूरा करने के लिए हम चंद्रमा को जल चढ़ाते हैं। जबकि 1, जो भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को पड़ता है, हम आमतौर पर केवल कथा करते हैं व्रत नहीं। इस दिन चंद्रमा को देखना एक अभिशाप है। जबकि 14वी अधिमास की है (जो हर तीन साल बाद एक बार आता है।)
कृष्ण और शुक्ल पक्ष क्या हैं?
चन्द्रमा की न्यूनाधिक कलाओं के अनुसार मास को दो पक्षों में विभाजित किया गया है।
1. कृष्ण पक्ष
2. शुक्ल पक्ष
पूर्णिमा से अमावस्या के बीच का समय अंतराल कृष्ण पक्ष है।कृष्ण पक्ष, पूर्णिमा के अगले दिन से शुरू होता है और अमावस्या पर समाप्त होता है। कृष्ण पक्ष की कुल अवधि 15 दिनों की होती है।
अमावस्या से पूर्णिमा के बीच का समय अंतराल शुक्ल पक्ष है। शुक्ल पक्ष अमावस्या के अगले दिन से शुरू होता है और पूर्णिमा पर समाप्त होता है। शुल्क पक्ष की कुल अवधि 15 दिनों की होती है।
गणेश पूजन-सामग्री
गणेश जी की मूर्ति (स्वर्ण, चाँदी, अष्टधातु या मिट्टी की) चन्दन केसरिया, रोली 5, अबीर 5, बुक्का 5, नारा 5, धूपबत्ती 25, सिन्दूर 10 ग्राम, कपूर 1 डिबिया, माला, छुट्टा फूल, दूब 108, घी का दीपक 1, सुपारी 25, पान छुट्टा 5, यज्ञोपवीत 2, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, चीनी), पंचमेवा 250 ग्राम, कसोरा 20, नैवेद्य-बेसन का लड्डू 250 ग्राम, आटा चौक पूरने के लिए, ऋतुफल (केला, सन्तरा, सेब आदि), गंगा जल एवं गणेश जी को चढ़ाने का वस्त्र, चावल 200 ग्राम, इत्र ।
किस माह में होती है गणेश जी के किस अवतार की पूजा: