Showing posts from March, 2023
दुर्गा सप्तशती की उत्पत्ति मार्कंडेय पुराण से हुई है, जो 18 प्रमुख पुराणों में से एक है। दुर्गा सप्तशती जिसे देवी महात्म्य और चंडी पाठ के रूप में भी जाना जाता है, एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जो राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का वर्णन करता है। दुर…
ऋषि बोले- हे राजन! भगवती का यह श्रेष्ठ महात्म्य मैंने आपको सुना दिया, इस संसार के धारण करने वाली भग- वतीका ऐसा ही प्रभाव है। भगवान विष्णु की माया तुमको और समाधि वैश्य को तथा अन्य विवेकी पुरुषों को भी मोहित करती है। सभी उससे मोहित हुए हैं तथा मोहे जा…
देवी बोली- जो मनुष्य एकाग्र मन से नित्य-प्रति स्तोत्र [दुर्गा सप्तशती] से मेरी प्रार्थना करता है उस मनुष्य की समस्त बाधाओं का में निश्चय ही दमन कर देती हूं। जो मधुकैटभका विनाश, महिपासुरका घात और शुम्भ-निशुम्भ के वध का कीर्तन करेंगे तथा अष्टमी, चतुर्…
ऋषि बोले- देवी के द्वारा महा दैत्यपति शुम्भ के मारे जाने पर इन्द्र आदि सब देवताओं ने अग्नि को आगे करके अभीष्ट के प्राप्त होने के कारण कात्यायनी देवी की स्तुति करने लगे, उनके मुख कमल खिल गये थे। देवता बोले- हे शरणागत के कष्टों को दूर करने वाली देवी !…
मेधा ऋषि कहते हैं-हे राजन! प्राणों के समान प्रिय अपने भाई निशुम्भ को सेनासहित मरा हुआ देखकर शुम्भ कुपित होकर बोला- हे दुर्गे ! तुम अपने बल का गर्व मत करो, तुम दूसरों के बल पर युद्ध करती हो और अपने परा- क्रम का अभिमान करती हो। तब देवी ने कहा- अरे दुष…
राजा सुरथ ने कहा- हे भगवन! आपने रक्तबीज के बध से सन्बन्ध रखने वाला देवी का चरित्र मुझसे कहा । रक्तबीज के मरने पर महा क्रोधी शुम्भ निशुम्भ ने क्या किया था वह भी अब सुनना चाहता हूं। तब मेधा ऋषि कहते हैं—हे राजन! रक्तबीज के सेना सहित मरने के बाद शुम्भ और…
ऋषि बोले- जब चण्ड और मुण्ड महाअसुरों का देवी ने बहुतसी सेना सहित संहार करदिया तो असुरेश्वरी प्रतापी शुम्भ ने अत्यन्त क्रोध से अपनी समस्त सेना को मारने के लिए कूच करनेका आदेश दिया और बोला- आज छियासी उदा युध असुर सेनापति और चौरासी कम्बु असुर सेनापति अ…
ऋषि बोले- तदनन्तर शुम्भ की आज्ञानुसार चण्ड व मुण्ड चतुरङ्गिनी सेना तथा संम्पूर्ण हथियारों से मुसज्जित होकर चल दिए और हिमालय पर्वत पर पहुंचकर उन्होंने सिंह पर स्थित देवी को मंद-मंद मुस्कराते हुए देखा। तब वे असुर धनुष और तलवार लेकर देवी की तरफ उसे पकड़न…
ऋषि बोले—देवी का यह शब्द सुन क्रोध युक्त दूत ने दैत्यराज शुम्भ के पास जाकर पूरी कथा विस्तार पूर्वक सुना दी। तब दूत से समस्त बातों को सुनकर दैत्यराज ने कोधित हो कर असुर सेनापति धूम्रलोचन से कहा- हे धूम्र- लोचन ! तुम शीघ्र ही अपनी सेना समेत वहां जाओ औ…
ऋषि बोले- पूर्व काल में शुम्भ और निशुम्भ नामक महा असुरों ने अपने बल के मद से इन्द्र से तीनों लोकोंका | राज्य और यज्ञों के भाग छीन लिए। वे दोनों सूर्य, चन्द्रमा कुबेर, धर्मराज और वरुण के अधिकारों को छीनकर स्वयं राज्य करने लगे। वायु और अग्निके भी अधिकार…
मेघा ऋषि ने कहा कि देवी के द्वारा पराक्रमी दुष्ट महिषासुर को फौज सहित मारे जाने पर इन्द्र आदि सभी देवता प्रसन्न होकर मस्तक झुका कर प्रणाम करके नाना प्रकार से स्तुति करने लगे। जिस देवीने यह समस्त संसार अपनी शक्ति से उत्पन्न किया है । जो सब देवों की प…
तब ऋषि बोले ! और सेनापति चिक्षुर अपनी सेना का संहार होते देख क्रोधित होकर जगदम्बिका से संग्राम करने के लिए गया । वह अमुर समर में भगवती के ऊपर इस प्रकार बालों की बरसा करने लगा मानो सुमेरु पर्वत पर मेघ जल बरसता हो । तत्पश्चात देवी ने उसके बाणों को खेल- …