सूतजी बोले- हे ऋषिवरों अब मैं सोम त्रयोदशी व्रत का माहात्म्य वर्णन करता हूँ। इस व्रत के करने से शिव-पार्वती प्रसन्न होते हैं। प्रातः स्नानादिकर शुद्ध पवित्र हो शिव-पार्वती का ध्यान करके पूजन करें और अर्घ्य दें। "ॐ नमः शिवाय'' इस मंत्र का १०८ बार जाप करें, फिर स्तुति करें, हे प्रभो! मैं इस दुःख सागर में गोते खाता हुआ ऋणभार से दबा, हे ग्रहदशा से प्रसित हूँ, हे दयालु! मेरी रक्षा कीजिए। शौनकादि ऋषि बोले- हे पूज्यवर महामते! आपने यह व्रत सम्पूर्ण कामनाओं के लिए बताया है, अब कृपा कर यह बताने का कष्ट करें कि यह व्रत किसने किया व क्या फल पाया?
सूतजी बोले- एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था, भरण-पोषण का कोई आधार नहीं था। इसलिए वह सुबह होते ही अपने पुत्र के साथ भीख माँगने निकल जाती थी और जो भिक्षा में प्राप्त होता था, उसी से अपना और अपने पुत्र का पेट भरती थी।
एक दिन ब्राह्मणी भीख माँगकर लौट रही थी, तो उसे एक लड़का मिला, उसकी दशा बहुत खराब थी। ब्राह्मणी को उस पर दया आ गई। वह उसे अपने साथ घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। पड़ोसी राजा ने उसके पिता पर आक्रमण करके। उसके राज्य पर कब्जा कर लिया था। इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। ब्राह्मणी के आश्रम में वह ब्राह्मणकुमार की तरह पलने लगा। एक दिन ब्राह्मणकुमार और राजकुमार खेल रहे थे।
उन्हें यहाँ गन्धर्वकन्याओं ने देख लिया। ये राजकुमार पर मोहित हो गई। ब्राह्मणकुमार तो घर लौट आया, लेकिन राजकुमार अंशुमती नामक गन्धर्यकन्या से बात करता रह गया। दूसरे दिन अंशुमती अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने के लिए ले आई। उनको राजकुमार पसंद आया, कुछ ही दिनों बाद अंशुमती के माता-पिता को शंकर भगवान् ने स्वप्न में आदेश दिया कि वे अपनी कन्या का विवाह राजकुमार से कर दें, फलतः उन्होंने अंशुमती का विवाह राजकुमार से कर दिया।
ब्राह्मणी को ऋषियों ने आज्ञा दे रखी थी कि यह सदा प्रदोष व्रत करती रहे। उसके व्रत के प्रभाव और गन्धर्वराज की सेनाओं की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को मार भगाया और अपने पिता के राज्य को पुनः प्राप्त कर वहाँ आनन्दपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण को अपना प्रधानमंत्री बनाया। राजकुमार और ब्राह्मण कुमार के दिन जैसे ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत की कृपा से फिरे, शंकर भगवान् वैसे ही अपने दूसरे भक्तों के दिन भी फेरते हैं। तभी से प्रदोष व्रत का संसार में बड़ा महत्त्व है।