यह सब पापों को दूर करने वाली एकादशी अजा नाम से विख्यात है। हृषीकेश भगवान का पूजन करके जो इसका व्रत करता है। उसके पाप दूर हो जाते हैं।
अजा एकादशी का व्रत कब आता है?
अजा एकादशी का व्रत, भाद्रपद महीने की कृष्णापक्ष को आता है।
अजा एकादशी का व्रत कैसे करे?
उपवास करके रात में जागरण करके इस प्रकार उसका व्रत करने से सब पाप दूर हो जायेगा।
एकादशी का व्रत कितना उत्तम माना जाता है?
एकादशी के प्रभाव से राजा ने निष्कंटक राज्य किया। सब पुरवासियों और कुटम्बियों समेत राजा स्वर्ग को गया । इस प्रकार के व्रत को जो मनुष्य करते हैं, वे निश्चय ही सब पापों से छूटकर स्वर्ग को जाते हैं । इसके पाठ करने और सुनने से अवश्मेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
कथा:
प्राचीन समय मे सब पृथ्वी का स्वामी चक्रवर्ती हरिश्चन्द्र नाम का सत्यवादी राजा था। पर अपने पिछले जन्म के कुकर्मों के कारण उसका सब कुछ उसके हाथों से निकल गया, पत्नी, बच्चे और राज्य सब कुछ छूट गया। वह धर्मात्मा राजा चांडाल के यहां नौकर हो गया। परन्तु उसने सत्य नहीं छोड़ा। स्वामी की आज्ञा से वह कर के रूप में मुर्दे का वस्त्र लेने लगा। वह राजा सत्य से नहीं हटा। इस तरह से राजा को बहुत से वर्ष बीत गये।
एक दिन गौतम नामक मुनीश्वर आये। ब्रह्मा ने परोपकार करने के लिए ही ब्राह्मण को रचा है। मुनीश्वर को देखकर राजा ने उनको प्रणाम किया। हाथ जोड़कर राजा, गौतम के सामने खड़ा हो गया और अपने दुःख का वृतान्त सुनाया। राजा के वचन सुनकर गौतम को विस्मय हुआ। मुनिश्वर ने राजा के लिए इस व्रत का उपदेश दिया।
"हे राजन् ! भादों के कृष्णपक्ष में पुण्य देने वाली सुन्दर अजा नाम की एकादशी आ गई। उसका तुम व्रत करो इससे पाप नष्ट हो जायेगा। उपवास करके रात में जागरण करके इस प्रकार उसका व्रत करने से सब पाप दूर हो जायेगा।"
इस तरह राजा से कहकर मुनिश्वर अन्तर्ध्यान हो गये। मुनिश्वर का वचन सुनकर राजा ने उत्तम व्रत किया। उस व्रत के करने से राजा का पाप क्षण भर में नष्ट हो गया।