Showing posts from July, 2023
गर्गाचार्यजी ने कहा- हे महामते! आपने शिव शंकर को प्रसन्न करने हेतु समस्त प्रदोष व्रत का वर्णन किया। अब हम शनि प्रदोष की विधि सुनने की इच्छा रखते हैं, मो कृपा करके सुनाइये। सूतजी बोले- हे ऋषियों निश्चित रूप से आपका शिव-पार्वती के चरणों में अत्यन्त प्रे…
सूतजी बोले- प्राचीन काल की बात है. एक नगर में तीन मित्र रहते थे। तीनों में ही निष्ठ मित्रा थी। उनमें एक राजकुमार, दूसरा ब्राह्मण-पुत्र, तीसरा सेठ पुत्र था। राजकुमार ब्राह्मणपुत्र का विवाह हो चुका था. मेठ-पुत्र का विवाह के बाद गौना नहीं हुआ था। एक दिन …
वृहस्पति त्रयोदशी व्रत कथा इस प्रकार है कि एक बार इन्द्र और वृत्रासुर में घनघोर युद्ध हुआ। उस समय देवताओं ने दैत्य सेना को पराजित कर नष्ट-भ्रष्ट कर दिया। अपनी सेना का विनाश देख कृत्रासुर अत्यंत क्रोधित हो स्वयं युद्ध के लिए उद्यत हुआ मायावी असुर ने आस…
सूतजी बोले- ऋषियों अब मैं आपको बुध त्रयोदशी (प्रदोष) की कथा सुनाता हूँ, ध्यानपूर्वक सुनिये। प्राचीन काल की कथा है-एक पुरुष का नया नया विवाह हुआ था। वह गौने के बाद दूसरी बार पत्नी को लिवाने अपनी ससुराल पहुँचा और अपनी सास से कहा कि बुधवार के दिन ही पत्न…
शौनक ऋषि सूतजी से बोले- हे प्रभो! दया कर अब आप मंगल प्रदोष की कथा का वर्णन करें, आपकी अति कृपा होगी। सूतजी बोले- अब मैं मंगल त्रयोदशी (प्रदोष व्रत का विधि-विधान कहता हूँ। मंगलवार का दिन व्याधियों का नाशक है। इस व्रत में एक समय व्रती को गेहूँ और गुड़ क…
सूतजी बोले- हे ऋषिवरों अब मैं सोम त्रयोदशी व्रत का माहात्म्य वर्णन करता हूँ। इस व्रत के करने से शिव-पार्वती प्रसन्न होते हैं। प्रातः स्नानादिकर शुद्ध पवित्र हो शिव-पार्वती का ध्यान करके पूजन करें और अर्घ्य दें। "ॐ नमः शिवाय'' इस मंत्र का …
एक समय सभी प्राणियों के हितार्थ परम पवित्र भागीरथी के तट पर अधि समाज द्वारा विशाल गोष्ठी का आयोजन किया गया। विज्ञ महर्षियों की एकत्रित सभा में व्यासजी के परम शिष्य पुराणवत्ता सूतजी हरिकीर्तन करते हुए पधारे। सूतजी को देखते ही शौनकादि अट्ठासी हजार ऋषि-म…
मृत्यु लोक में विवाह करने की इच्छा करके एक समय श्री भूतनाथ महादेव जी माता पार्वती के साथ पधारे। वहां वे भ्रमण करते-करते विदर्भ देशांतर्गत अमरावती नाम की अति रमणीक नगरी में पहुंचे। अमरावती नगरी अमरापुरी के सदृश सब प्रकार के सुखों से परिपूर्ण थी। उसमें …
एक बहुत धनवान साहूकार था, जिसके घर धन आदि किसी प्रकार की कमी नहीं थी। परन्तु उसको एक दुःख था कि उसके कोई पुत्र नहीं था। वह इसी चिन्ता में रात-दिन रहता था। वह पुत्र की कामना के लिए प्रति सोमवार को शिवजी का व्रत और पूजन किया करता था तथा सायंकाल को शिव म…